भद्रकाली मेला....
हनुमानगढ जिला मुख्यालय से लगभग सात किलों मीटर दूर भद्र काली मन्दिर पर प्रति वर्ष चैत्र सुदी अष्टमी और नवमी को दो दिन विशाल मेला लगता है। यह मन्दिर साम्प्रदायिक सदभावाना की बहुत बड़ी मिसाल है। इस मन्दिर पर सभी धर्मों के लोगों की श्रद्धा है और सभी अपना शीश नवाते है। कहा जाता है कि इस मन्दिर का निर्माण बादशाह अकबर के आदेश पर बीकानेर रियासत के छठे महाराजा राम सिंह ने करवाया था।
इस ऎतिहासिक मन्दिर की बनावट दूसरे स्थानों के मन्दिरों से भिन्न है। मन्दिर का ग़ुम्बज़ मस्जिद की तरह बना हुआ है। इस मन्दिर की स्थापना की घटना भी बड़ी रोचक बताई जाती है। बादशाह अकबर एक बार बीकानेर के राजा रामसिंह के साथ इस क्षेत्र से गुज़रे। उस समय यहां सघन वन था। भूख प्यास से बेहाल वे लोग जब वर्तमान मन्दिर स्थल के नज़दीक पहुंचे तो उन्हें टीले पर एक औरत खड़ी दिखाई दी। उन्होंने अपनी भूख प्यास का जिक्र करते हुए भोजन पानी की व्यवस्था करने का अनुरोध किया। उस महिला ने तुरन्त घने बीहड़ जंगल में उनके खाने पीने की व्यवस्था कर दी। इस पर महाराजा अकबर आश्चर्य चकित रह गए। उन्होंने उस महिला को दैवी शक्ति माना तथा अपनी ओर से सेवा करने का अवसर देने का आग्रह किया। इस पर उस महिला ने वहां मां काली का मन्दिर बनाने को कहा। तब अकबर ने राजा रामसिंह को यह मन्दिर बनाने का आदेश दिया। कहते हैं कि यह मन्दिर तब का बना हुआ है।
हिन्दू, मुस्लिम, सिख , इसाई सभी के लिए भद्रकाली आराध्य देवी है। सभी तरह के धर्मावलम्बी यहां एक ही कतार में खड़े होकर मां भद्रकाली के दर्शन करते हैं और एक ही स्थान पर प्रसाद ग्रहण करते हैं। यहां से प्रत्येक व्यक्ति एकता और भाई चारे का सन्देश लेकर जाता है। वर्तमान में इस मन्दिर के रखरखाव का जिम्मा राजस्थान देव स्थान विभाग का है। लेकिन यह विभाग राजस्व एकत्र करने के कार्य को ही प्रमुखता देता है। श्रद्धालुओं की सुविधाओं के लिए शहर की समाज सेवी संस्थाएं मेले के दिनों में दिन रात जुटी रहती है।
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