कुछ अमीर लोग, किसी पर किए गये एहसानके बदले में जिन्दगी भर, उससे सूद वसूलने की
चाह रखते है। जो प्यार के रिश्तों को भी बर्बाद
कर देते हैं। एहसान जताने से एहसान......
,एहसान नहीं रहता, वह स्वार्थ में बदल जाता है।.
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धन दौलत तो बहुत से लोगों के पास होती है|
मगर किसी की आर्थिक मदद करने और
दूसरों पर खर्च करने का दिल किसी-किसी
के पास ही होता है।........................
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एक धनवान जब किसी को कुछ देता है
तो उसमें एक स्वार्थ छुपा रहता है..
मगर एक फ़कीर जब किसी को कुछ देता है
तो उसमें सिर्फ़ देने की खुशी छुपी होती है।
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धन के बल पर मिला मान-सम्मान अस्थाई होता है.
धन समाप्त होने के साथ वह भी विलुप्त हो जाता है.
लेकिन चरित्र के आधार पर मिला मान-सम्मान स्थाई होता है.
वह जीवन भर साथ रहता है और विलुप्त भी नहीं होता....
मृत्यु उपरान्त भी जीवित रहता है.........
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